How a Technical Audit Can Elevate Your Website Success

क्या आपकी वेबसाइट धीमी, असुरक्षित या गूगल पर रैंक नहीं कर रही है? अगर हां, तो शायद यह तकनीकी ऑडिट (Technical Audit) का समय है। एक Technical Audit आपकी साइट की सेहत जांचने का सबसे अच्छा तरीका है। यह न सिर्फ आपकी साइट की स्पीड और सुरक्षा को बेहतर बनाता है, बल्कि SEO और यूजर एक्सपीरियंस (UX) में भी सुधार लाता है। चाहे आप एक ब्लॉगर हों, बिजनेस ओनर या डेवलपर, यह ब्लॉग आपको Technical Audit के हर पहलू को समझने में मदद करेगा।  

इस ब्लॉग में, हम Technical Audit के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। आप जानेंगे कि Technical Audit क्या है, यह क्यों जरूरी है और इसे कैसे करें। हम वेबसाइट स्पीड, मोबाइल फ्रेंडलीनेस, क्रॉलएबिलिटी, सुरक्षा और टेक्निकल SEO जैसे मुख्य घटकों पर गहराई से बात करेंगे। साथ ही, आपको बेहतरीन टूल्स और स्टेप-बाय-स्टेप गाइड मिलेगा, जिससे आप अपनी वेबसाइट की तकनीकी समस्याओं को पहचान और ठीक कर सकते हैं। अंत में, हम वेबसाइट को तकनीकी रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए कुछ बेस्ट प्रैक्टिसेज भी शेयर करेंगे। 

Technical Audit Main
Table Of Contents
  1. What is a Technical Audit? | टेक्निकल ऑडिट क्या है?
  2. Key Components of a Technical Website Audit | टेक्निकल वेबसाइट ऑडिट के मुख्य तत्व
  3. Tools for Conducting a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट के लिए जरूरी टूल्स
  4. Common Technical Issues Found During Audits | टेक्निकल ऑडिट के दौरान पाई जाने वाली सामान्य समस्याएं
  5. Steps to Perform a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट करने के स्टेप्स
  6. Best Practices for Maintaining a Technically Sound Website | वेबसाइट को तकनीकी रूप से मजबूत बनाए रखने के बेहतरीन तरीके
  7. Conclusion | निष्कर्ष
  8. FAQs | Technical Audit

What is a Technical Audit? | टेक्निकल ऑडिट क्या है?

Technical Audit एक प्रोसेस है जिससे वेबसाइट की टेक्निकल हेल्थ की जांच की जाती है। इसका मकसद यह देखना होता है कि वेबसाइट सही तरीके से काम कर रही है या नहीं और क्या कोई ऐसी समस्याएं हैं जो SEO, यूजर एक्सपीरियंस (UX) या परफॉर्मेंस को नुकसान पहुंचा रही हैं।

Purpose of a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट का उद्देश्य

Technical Audit करने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:

  • वेबसाइट सर्च इंजन फ्रेंडली हो और गूगल इसे सही से क्रॉल और इंडेक्स कर सके।
  • साइट की लोडिंग स्पीड और ओवरऑल परफॉर्मेंस बेहतर हो।
  • वेबसाइट पर कोई तकनीकी एरर्स (जैसे, ब्रोकन लिंक्स, डुप्लिकेट कंटेंट या मोबाइल-फ्रेंडलीनेस इश्यू) न हों।

Benefits of Performing a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट करने के फायदे

Improved Site Speed & Performance
वेबसाइट की लोडिंग स्पीड और ओवरऑल परफॉर्मेंस बेहतर होती है, जिससे बाउंस रेट कम होता है और यूजर्स ज्यादा देर तक साइट पर रहते हैं।

Better Search Engine Visibility
गूगल और अन्य सर्च इंजन वेबसाइट को सही से क्रॉल और इंडेक्स कर पाते हैं, जिससे रैंकिंग में सुधार होता है।

Enhanced User Experience (UX)
मोबाइल-फ्रेंडलीनेस, साइट नेविगेशन और पेज लोडिंग टाइम बेहतर होने से यूजर एक्सपीरियंस सुधरता है, जिससे ट्रैफिक और कन्वर्ज़न रेट बढ़ता है।

Technical Audit एक जरूरी प्रोसेस है जो आपकी वेबसाइट को सही से ऑप्टिमाइज़ करने में मदद करता है। रेगुलर ऑडिट करके आप वेबसाइट की स्पीड, SEO और यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बना सकते हैं, जिससे ओवरऑल परफॉर्मेंस और बिजनेस ग्रोथ में बढ़ोतरी होती है। 

Benefits of a Technical Audit

Key Components of a Technical Website Audit | टेक्निकल वेबसाइट ऑडिट के मुख्य तत्व

Technical Audit के ये फैक्टर्स वेबसाइट की ओवरऑल हेल्थ को सुधारते हैं और सर्च इंजन में बेहतर परफॉर्म करने में मदद करते हैं। एक रेगुलर Technical Audit करने से आपकी वेबसाइट की स्पीड, SEO और सिक्योरिटी बेहतर होती है, जिससे ओवरऑल परफॉर्मेंस और ट्रैफिक बढ़ता है। 

1. Website Speed and Performance | वेबसाइट स्पीड और परफॉर्मेंस

वेबसाइट की स्पीड SEO और यूजर एक्सपीरियंस के लिए सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर्स में से एक है। अगर आपकी वेबसाइट धीमी लोड होती है, तो विज़िटर बिना कंटेंट पढ़े ही साइट छोड़ सकते हैं, जिससे Bounce Rate बढ़ जाता है और रैंकिंग पर नेगेटिव असर पड़ता है।

🔹 स्पीड मापने के लिए टूल्स:

  • Google PageSpeed Insights: यह वेबसाइट की स्पीड स्कोर दिखाने के साथ परफॉर्मेंस सुधारने के सुझाव भी देता है।
  • GTmetrix: यह वेबसाइट की स्पीड टेस्ट करने और उसके लोडिंग टाइम को ब्रेकडाउन करने में मदद करता है।
  • Lighthouse: यह Google Chrome DevTools में उपलब्ध है और साइट की परफॉर्मेंस को गहराई से एनालाइज़ करता है।

🔹 स्पीड स्लो होने के कारण:

  • बड़े इमेज फाइल्स: बिना ऑप्टिमाइज़ किए गए हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज वेबसाइट को धीमा कर सकते हैं।
  • Render-blocking Resources: CSS और JavaScript फाइल्स जो पेज लोडिंग में बाधा डालती हैं।
  • सर्वर रिस्पॉन्स टाइम: अगर होस्टिंग सर्वर स्लो है, तो वेबसाइट की स्पीड भी कम हो जाती है।

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2. Mobile-Friendliness | मोबाइल-फ्रेंडलीनेस

आज 60% से ज्यादा वेबसाइट ट्रैफिक मोबाइल डिवाइसेज़ से आता है, इसलिए आपकी साइट का Responsive Design होना बेहद जरूरी है। Google अब Mobile-First Indexing को प्राथमिकता देता है यानी अगर आपकी साइट मोबाइल-फ्रेंडली नहीं है, तो उसकी रैंकिंग पर बुरा असर पड़ सकता है।

🔹 मोबाइल-फ्रेंडलीनेस टेस्ट करने के टूल्स:

  • Google Mobile-Friendly Test: यह बताता है कि आपकी साइट मोबाइल डिवाइसेज़ पर सही से लोड हो रही है या नहीं।
  • Chrome DevTools – Device Mode: यह ब्राउज़र में विभिन्न स्क्रीन साइज पर साइट को टेस्ट करने का ऑप्शन देता है।

 🔹 कॉमन इश्यूज़:

  • छोटे टेक्स्ट: जिसे पढ़ना मुश्किल हो सकता है।
  • टैप टार्गेट्स बहुत करीब होना: जिससे यूजर्स को सही बटन क्लिक करने में परेशानी होती है।

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3. Crawlability and Indexability | क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग

अगर Google आपकी साइट को क्रॉल और इंडेक्स नहीं कर पाता, तो वह सर्च रिजल्ट्स में नहीं दिखेगी। इसलिए यह जरूरी है कि सर्च इंजन आसानी से आपकी वेबसाइट के पेज ढूंढ सकें और उन्हें इंडेक्स कर सकें।

🔹 कॉमन समस्याएं:

  • Broken Links (404 Errors): जब कोई लिंक खराब हो जाता है, तो यह यूजर्स और गूगल बॉट्स दोनों के लिए परेशानी का कारण बनता है।
  • robots.txt Errors: अगर गलत Robots.txt सेट किया गया है, तो यह सर्च इंजन को जरूरी पेज एक्सेस करने से रोक सकता है।
  • Noindex Tags: अगर गलती से जरूरी पेज को “noindex” टैग कर दिया गया है, तो वह गूगल में इंडेक्स नहीं होगा।

🔹 समाधान:

  • Google Search Console का उपयोग करें, यह देखने के लिए कि कौन-से पेज इंडेक्स हो रहे हैं और कौन-से ब्लॉक हो रहे हैं।
  • XML Sitemap सबमिट करें ताकि गूगल को आपकी वेबसाइट की पूरी स्ट्रक्चर समझ में आ सके।

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4. Site Architecture | साइट आर्किटेक्चर

सही साइट स्ट्रक्चर से सर्च इंजन और यूजर्स दोनों को आसानी से नेविगेट करने में मदद मिलती है। एक अच्छी साइट आर्किटेक्चर में लॉजिकल URL स्ट्रक्चर, सही इंटरनल लिंकिंग और डुप्लिकेट कंटेंट को मैनेज करना शामिल है।

🔹 अच्छी साइट आर्किटेक्चर के फायदे:

  • यह गूगल को यह समझने में मदद करता है कि कौन-से पेज सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं।
  • इंटरनल लिंकिंग से पेज अथॉरिटी (Page Authority) बढ़ती है।

🔹 कॉमन प्रॉब्लम्स:

  • Duplicate Content: एक ही कंटेंट के कई URL होने से गूगल कन्फ्यूज़ हो सकता है और रैंकिंग डाउन हो सकती है।
  • Orphan Pages: ऐसे पेज जो वेबसाइट पर कहीं से लिंक नहीं होते, जिससे गूगल उन्हें ढूंढ नहीं पाता।

5. Security | वेबसाइट की सुरक्षा

वेबसाइट की सिक्योरिटी केवल यूजर डेटा की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि गूगल रैंकिंग के लिए भी जरूरी होती है।

🔹 मुख्य सुरक्षा उपाय:

  • SSL Certificate (HTTPS): गूगल ने HTTP साइट्स को “Not Secure” मार्क करना शुरू कर दिया है। इसलिए SSL सर्टिफिकेट जरूरी है।
  • Malware और Vulnerability Checks: वेबसाइट को हैकिंग और साइबर अटैक्स से बचाने के लिए रेगुलर स्कैनिंग जरूरी है।
  • Strong Passwords और Firewalls: ये वेबसाइट की सिक्योरिटी को और मजबूत करते हैं।

Read also: Best Practices for Website Security: How to Protect your Website

6. Technical SEO | टेक्निकल SEO

टेक्निकल SEO वेबसाइट की परफॉर्मेंस को बढ़ाने और सर्च इंजन को बेहतर सिग्नल भेजने में मदद करता है।

🔹 महत्वपूर्ण फैक्टर्स:

  • Meta Tags (Title, Description): सही कीवर्ड्स के साथ ऑप्टिमाइज़ किए गए मेटा टैग्स रैंकिंग सुधार सकते हैं।
  • Schema Markup: इससे गूगल को वेबसाइट के कंटेंट को अच्छे से समझने में मदद मिलती है।
  • XML Sitemap और Robots.txt Optimization: यह सुनिश्चित करता है कि गूगल सही पेज को इंडेक्स कर रहा है।

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7. Core Web Vitals | कोर वेब वाइटल्स

Google ने Core Web Vitals को SEO रैंकिंग फैक्टर बना दिया है, इसलिए इन पर ध्यान देना जरूरी है।

🔹 मुख्य फैक्टर्स:

  • Largest Contentful Paint (LCP): पेज का सबसे बड़ा एलिमेंट कितनी जल्दी लोड होता है। (आइडियल समय 2.5 सेकंड से कम)
  • First Input Delay (FID): साइट पहली बार कितनी जल्दी यूजर के इनपुट का जवाब देती है। (आइडियल 100ms से कम)
  • Cumulative Layout Shift (CLS): पेज पर अचानक होने वाले विज़ुअल शिफ्ट्स, जो UX को प्रभावित करते हैं।

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Key components of Technical Audit

Tools for Conducting a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट के लिए जरूरी टूल्स

Technical Audit करने के लिए कई टूल्स उपलब्ध हैं, जो वेबसाइट की हेल्थ और परफॉर्मेंस को एनालाइज़ करने में मदद करते हैं। ये टूल्स SEO इश्यूज को पहचानने, स्पीड सुधारने और साइट की इंडेक्सिंग स्थिति जांचने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

1. Google Search Console (GSC) | गूगल सर्च कंसोल

यह Google का फ्री टूल है, जो आपकी वेबसाइट की इंडेक्सिंग, सर्च ट्रैफिक और टेक्निकल इश्यूज को मॉनिटर करने में मदद करता है।

🔹 कैसे इस्तेमाल करें:

  • Coverage Report: यह दिखाता है कि कौन-से पेज इंडेक्स हो रहे हैं और कौन-से एरर दिखा रहे हैं (404, 500 errors, आदि)।
  • Mobile Usability: मोबाइल फ्रेंडली इश्यूज को चेक करने के लिए।
  • Page Experience & Core Web Vitals: स्पीड और UX फैक्टर्स की परफॉर्मेंस देखने के लिए।
  • URL Inspection Tool: किसी पेज की क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग स्टेटस चेक करने के लिए।

2. Screaming Frog SEO Spider | स्क्रीमिंग फ्रॉग SEO स्पाइडर

यह एक डेस्कटॉप टूल है, जो वेबसाइट को स्कैन करके SEO और टेक्निकल इश्यूज को पहचानने में मदद करता है।

🔹 कैसे इस्तेमाल करें:

  • Broken Links और Redirects खोजें।
  • Meta Tags और H1, H2 Headings की ऑडिट करें।
  • Canonical Tags और डुप्लिकेट कंटेंट की जांच करें।
  • XML Sitemap को वेरिफाई करें।

3. Ahrefs, SEMrush & Moz | बैकलिंक एनालिसिस टूल्स

ये पॉपुलर SEO टूल्स हैं, जो वेबसाइट की बैकलिंक प्रोफाइल, कीवर्ड रैंकिंग और टेक्निकल SEO इश्यूज को ट्रैक करने में मदद करते हैं।

🔹 कैसे इस्तेमाल करें:

  • Site Audit Feature: वेबसाइट की क्रॉलिंग, स्पीड और टेक्निकल SEO इश्यूज का एनालिसिस करें।
  • Backlink Analysis: वेबसाइट को पॉइंट करने वाले बैकलिंक्स और उनके क्वालिटी की जांच करें।
  • Keyword Tracking: कौन-से कीवर्ड्स ट्रैफिक ला रहे हैं और किन पेजेस को ऑप्टिमाइज़ करने की जरूरत है, यह जानें।

4. Lighthouse (Chrome DevTools) | लाइटहाउस (क्रोम डेवलपर टूल्स)

यह Google का एक बिल्ट-इन टूल है, जो वेबसाइट के परफॉर्मेंस, SEO, एक्सेसिबिलिटी और बेस्ट प्रैक्टिसेज को चेक करता है।

🔹 कैसे इस्तेमाल करें:

  • Google Chrome में DevTools खोलें (F12 दबाएं)।
  • Lighthouse टैब में जाकर साइट का ऑडिट रन करें।
  • Performance, SEO, Accessibility और Best Practices की रिपोर्ट देखें।
Tools for Technical Audit

Common Technical Issues Found During Audits | टेक्निकल ऑडिट के दौरान पाई जाने वाली सामान्य समस्याएं

Technical Audit के दौरान कई आम समस्याएं सामने आती हैं, जो वेबसाइट की परफॉर्मेंस, SEO और यूज़र एक्सपीरियंस (UX) को प्रभावित करती हैं। इन समस्याओं को पहचानकर सुधारना ज़रूरी होता है ताकि वेबसाइट बेहतर रैंक कर सके और तेज़ी से लोड हो।

1. Slow Page Load Times | पेज लोड टाइम धीमा होना

वेबसाइट की स्पीड SEO और UX के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

🔹 कारण:

  • बड़े साइज़ की इमेज फाइल्स।
  • Render-blocking JavaScript और CSS।
  • खराब सर्वर रिस्पॉन्स टाइम।
  • ज़रूरत से ज़्यादा प्लगइन्स और स्क्रिप्ट।

 🔹 समाधान:

  • Google PageSpeed Insights या GTmetrix से स्पीड चेक करें।
  • इमेज को WebP फॉर्मेट में कॉम्प्रेस करें।
  • CSS और JavaScript फाइल्स को मिनिफाई करें।
  • अच्छे होस्टिंग प्रोवाइडर का उपयोग करें।

2. Broken Links and Redirects | टूटे हुए लिंक और गलत रीडायरेक्ट्स

अगर वेबसाइट पर 404 एरर पेज या गलत रीडायरेक्ट्स हैं, तो यह SEO और यूज़र एक्सपीरियंस को नुकसान पहुंचाता है।

🔹 कारण:

  • डिलीट किए गए या मूव किए गए पेजेस।
  • गलत 301/302 रीडायरेक्शन।

🔹 समाधान:

  • Screaming Frog या Ahrefs से broken links की पहचान करें।
  • ज़रूरी हो तो 301 रीडायरेक्ट लगाएं।
  • सभी इंटरनल और एक्सटर्नल लिंक को समय-समय पर चेक करें।

3. Poor Mobile Optimization | मोबाइल फ्रेंडली न होना

Google Mobile-First Indexing को प्राथमिकता देता है, इसलिए वेबसाइट का मोबाइल फ्रेंडली होना ज़रूरी है।

🔹 कारण:

  • रिस्पॉन्सिव डिज़ाइन की कमी।
  • छोटे टेक्स्ट या टच एलिमेंट्स के बीच बहुत कम स्पेस।
  • धीमी मोबाइल लोडिंग स्पीड।

🔹 समाधान:

  • Google Mobile-Friendly Test से वेबसाइट टेस्ट करें।
  • मोबाइल-फ्रेंडली थीम और लेआउट अपनाएं।
  • टेक्स्ट साइज और बटन स्पेसिंग सही करें।

4. Duplicate Content and Missing Meta Tags | डुप्लिकेट कंटेंट और ग़लत मेटा टैग्स

Duplicate content वेबसाइट की रैंकिंग को नुकसान पहुंचा सकता है और ग़लत मेटा टैग्स SEO पर असर डालते हैं।

🔹 कारण:

  • एक ही कंटेंट के कई URL वर्ज़न।
  • Missing या डुप्लिकेट मेटा डिस्क्रिप्शन और टाइटल।

🔹 समाधान:

  • Canonical टैग का सही इस्तेमाल करें।
  • Meta title और description यूनिक और ऑप्टिमाइज़्ड बनाएं।
  • Siteliner या Copyscape से डुप्लिकेट कंटेंट चेक करें।

5. Security Vulnerabilities | सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं

वेबसाइट की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर अगर यह eCommerce या यूज़र डेटा स्टोर करती है।

🔹 कारण:

  • SSL सर्टिफिकेट की कमी (HTTPS न होना)।
  • पुराने या असुरक्षित प्लगइन्स।
  • कमजोर पासवर्ड और ब्रूट-फोर्स अटैक्स।

🔹 समाधान:

  • SSL/HTTPS को इनेबल करें।
  • WordPress जैसी CMS साइट्स के लिए सिक्योरिटी प्लगइन्स (Wordfence, Sucuri) का उपयोग करें।
  • नियमित रूप से साइट का सिक्योरिटी ऑडिट करें।

6. Unoptimized Images and Videos | इमेज और वीडियो का सही ऑप्टिमाइज़ेशन न होना

बड़े साइज़ की इमेज और वीडियो वेबसाइट की स्पीड को धीमा कर सकते हैं।

🔹 कारण:

  • हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज का बिना ऑप्टिमाइज़ेशन के अपलोड होना।
  • बिना कॉम्प्रेशन के वीडियो फाइल्स।

🔹 समाधान:

  • TinyPNG या ShortPixel से इमेज को कंप्रेस करें।
  • WebP इमेज फॉर्मेट का उपयोग करें।
  • वीडियो एम्बेड करने के लिए YouTube या Vimeo का इस्तेमाल करें।
Common Technical Issues

Steps to Perform a Technical Audit | टेक्निकल ऑडिट करने के स्टेप्स

Technical Audit एक स्ट्रक्चर्ड प्रोसेस है, जो वेबसाइट की हेल्थ और SEO परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे चरणबद्ध तरीके से करने से वेबसाइट की स्पीड, इंडेक्सिंग और सिक्योरिटी को ऑप्टिमाइज़ किया जा सकता है।

1. Preparation | तैयारी करें

Technical Audit से पहले एक क्लियर प्लान बनाना जरूरी होता है।

🔹 क्या करें?

  • Goals & Scope डिफाइन करें: यह तय करें कि ऑडिट का मुख्य फोकस क्या है (स्पीड, इंडेक्सिंग, मोबाइल फ्रेंडलीनेस आदि)।
  • Tools इकट्ठा करें: Google Search Console, Screaming Frog, Ahrefs/SEMrush, Google PageSpeed Insights और Lighthouse जैसे टूल्स का उपयोग करें।

2. Data Collection | डेटा इकट्ठा करें

इस स्टेप में वेबसाइट की पूरी स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।

🔹 क्या करें?

  • Crawl the Website: Screaming Frog या Ahrefs से वेबसाइट क्रॉल करें और सभी पेजेस का डेटा इकट्ठा करें।
  • Performance Metrics Analyze करें: Google PageSpeed Insights और Lighthouse से स्पीड, मोबाइल फ्रेंडलीनेस और कोर वेब वाइटल्स की रिपोर्ट निकालें।
  • Google Search Console (GSC) चेक करें: इंडेक्सिंग एरर, ब्रोकन लिंक और मोबाइल फ्रेंडलीनेस का एनालिसिस करें।

3. Identify Issues | समस्याओं की पहचान करें

अब सभी टेक्निकल इश्यूज को एक लिस्ट में कलेक्ट किया जाता है।

🔹 क्या करें?

  • Slow page load times (बड़ी इमेज, रेंडर-ब्लॉकिंग स्क्रिप्ट्स)
  • Broken links और रीडायरेक्शन एरर
  • Crawlability और Indexability इश्यूज (robots.txt, noindex tags)
  • Duplicate content और मेटा टैग्स की गलतियां
  • Security vulnerabilities (HTTPS, malware, outdated plugins)

4. Prioritize Fixes | समस्याओं को प्राथमिकता दें

सभी इश्यूज को उनकी गंभीरता और प्रभाव के आधार पर रैंक करें।

🔹 कैसे करें?

  • High Priority: साइट लोडिंग स्पीड, क्रॉलिंग/इंडेक्सिंग इश्यूज, सिक्योरिटी समस्याएं।
  • Medium Priority: ब्रोकन लिंक, डुप्लिकेट कंटेंट, मोबाइल फ्रेंडली इश्यूज।
  • Low Priority: मेटा टैग्स, साइट आर्किटेक्चर सुधार।

5. Implement Changes | समस्याओं का समाधान करें

अब ऑडिट में पाए गए इश्यूज को फिक्स करने का समय है।

🔹 क्या करें?

  • डेवलपर्स और SEO टीम के साथ मिलकर सुधार करें।
  • स्पीड ऑप्टिमाइज़ेशन के लिए इमेज और स्क्रिप्ट्स को कंप्रेस करें।
  • Google Search Console से इंडेक्सिंग एरर फिक्स करें।
  • Security और HTTPS को इनेबल करें।

6. Monitor Results | रिजल्ट्स ट्रैक करें

इम्प्रूवमेंट्स को ट्रैक करना जरूरी है ताकि यह पता चले कि ऑडिट के बाद वेबसाइट की परफॉर्मेंस कितनी बेहतर हुई।

🔹 कैसे करें?

  • Google Search Console और Analytics में ट्रैफिक और इंडेक्सिंग सुधार को ट्रैक करें।
  • PageSpeed Insights से स्पीड चेक करें।
  • SEO टूल्स (Ahrefs, SEMrush) से कीवर्ड रैंकिंग में बदलाव देखें।
steps to perform a technical audit.

Best Practices for Maintaining a Technically Sound Website | वेबसाइट को तकनीकी रूप से मजबूत बनाए रखने के बेहतरीन तरीके

एक वेबसाइट को केवल सेटअप करना ही काफी नहीं है, उसे लगातार मॉनिटर और मेंटेन करना भी जरूरी होता है। टेक्निकल इश्यूज को समय पर पहचानकर सुधारने से वेबसाइट की स्पीड, सिक्योरिटी और सर्च इंजन रैंकिंग बेहतर बनी रहती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण Best Practices दी गई हैं जो आपकी वेबसाइट को हमेशा टेक्निकली साउंड बनाए रखने में मदद करेंगी।

1. Regularly Monitor Website Performance | वेबसाइट की परफॉर्मेंस को नियमित रूप से मॉनिटर करें

वेबसाइट की स्पीड और परफॉर्मेंस को समय-समय पर चेक करना जरूरी है ताकि कोई भी तकनीकी समस्या जल्दी पकड़ी जा सके।

🔹 कैसे करें?

  • Google PageSpeed Insights और Lighthouse से लोडिंग स्पीड को चेक करें।
  • Google Search Console से इंडेक्सिंग एरर और ब्रोकन लिंक्स की पहचान करें।
  • GTmetrix और Ahrefs जैसी SEO टूल्स से परफॉर्मेंस एनालिसिस करें।

2. Conduct Periodic Audits | समय-समय पर टेक्निकल ऑडिट करें

हर 3 से 6 महीने में वेबसाइट का Technical Audit करने से SEO और यूज़र एक्सपीरियंस प्रभावित नहीं होता।

🔹 क्या करें?

  • Quarterly या Biannually ऑडिट करें: यह देखने के लिए कि वेबसाइट किसी टेक्निकल इश्यू से प्रभावित तो नहीं हो रही।
  • Crawl Errors, Mobile Friendliness और Indexing को Analyze करें।
  • Security Checks करें: SSL सर्टिफिकेट, मालवेयर स्कैन और प्लगइन्स/थीम अपडेट की जांच करें।

3. Stay Updated with SEO and Technical Trends | SEO और टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स से अपडेट रहें

Google और अन्य सर्च इंजन समय-समय पर अपने एल्गोरिदम अपडेट करते हैं, इसलिए आपको भी अपनी वेबसाइट को अपडेट रखना चाहिए।

🔹 कैसे करें?

  • Google Algorithm Updates को फॉलो करें।
  • SEO ब्लॉग्स (Moz, Search Engine Journal) पढ़ें।
  • Core Web Vitals और टेक्निकल SEO पर ध्यान दें।

4. Optimize for Core Web Vitals and User Experience | कोर वेब वाइटल्स और यूज़र एक्सपीरियंस को ऑप्टिमाइज़ करें

Google की रैंकिंग में अब Core Web Vitals (LCP, FID, CLS) एक महत्वपूर्ण फैक्टर है, इसलिए इन्हें ऑप्टिमाइज़ करना ज़रूरी है।

🔹 कैसे करें?

  • LCP (Largest Contentful Paint) – पेज के मुख्य कंटेंट को जल्दी लोड होने दें।
  • FID (First Input Delay) – यूज़र्स के क्लिक पर वेबसाइट को जल्दी रिस्पॉन्स देने के लिए स्क्रिप्ट्स ऑप्टिमाइज़ करें।
  • CLS (Cumulative Layout Shift) – पेज के एलिमेंट्स को स्थिर रखें ताकि वे अचानक शिफ्ट न हों।
Best Practices for technical audit

Conclusion | निष्कर्ष

वेबसाइट की सफलता केवल अच्छे कंटेंट और बैकलिंक्स पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसकी टेक्निकल हेल्थ भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। Technical Audit एक जरूरी प्रोसेस है, जो वेबसाइट की स्पीड, सिक्योरिटी, इंडेक्सिंग और ओवरऑल परफॉर्मेंस को बेहतर बनाता है।

💡 Technical Audit क्यों जरूरी है?

बेहतर सर्च इंजन रैंकिंग: सही टेक्निकल सेटअप से Google आपकी साइट को बेहतर समझता और इंडेक्स करता है।
फास्ट लोडिंग स्पीड: स्लो वेबसाइट यूज़र्स को परेशान करती है और बाउंस रेट बढ़ाती है।
मोबाइल फ्रेंडलीनेस: ज्यादातर ट्रैफिक मोबाइल से आता है, इसलिए मोबाइल ऑप्टिमाइज़ेशन जरूरी है।
सिक्योरिटी इंप्रूवमेंट: SSL, मैलवेयर स्कैन और अपडेटेड प्लगइन्स से साइट सेफ रहती है।

Technical Audit को इग्नोर करने से वेबसाइट की रैंकिंग और यूज़र एक्सपीरियंस खराब हो सकता है। इसलिए प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाएं और अपनी वेबसाइट को ऑडिट करें।

क्या करें?

🔹 Google Search Console और PageSpeed Insights से वेबसाइट की जांच करें।
🔹 Screaming Frog या Ahrefs से क्रॉल एरर और डुप्लिकेट कंटेंट पहचानें।
🔹 Core Web Vitals और मोबाइल फ्रेंडलीनेस को ऑप्टिमाइज़ करें।
🔹 हर 3-6 महीने में Technical Audit करें।

अब देर मत कीजिए। दिए गए टूल्स और टिप्स से अपनी वेबसाइट का Technical Audit शुरू करें और इसे ज्यादा फास्ट, SEO-फ्रेंडली और सिक्योर बनाएं।

What is a Technical Audit

FAQs | Technical Audit

1. What is a Technical Audit, and why is it important?

Technical Audit वेबसाइट की स्पीड, सिक्योरिटी, मोबाइल-फ्रेंडलीनेस और SEO परफॉर्मेंस को जांचने की प्रोसेस है। यह वेबसाइट की हेल्थ को बेहतर बनाकर सर्च इंजन रैंकिंग सुधारने में मदद करता है।

2. How often should I perform a technical audit on my website?

कम से कम हर 3-6 महीने में एक बार Technical Audit करना जरूरी है। बड़ी वेबसाइट्स को हर तिमाही (quarterly) ऑडिट करने की जरूरत होती है।

3. Which tools are best for conducting a technical audit?

Google Search Console, PageSpeed Insights, Screaming Frog, Ahrefs, SEMrush और Lighthouse जैसी टूल्स वेबसाइट के टेक्निकल इश्यूज को पहचानने और सुधारने में मदद करते हैं।

4. What are the most common issues found in a technical audit?

Slow page speed, broken links, duplicate content, security vulnerabilities, poor mobile optimization और गलत meta tags जैसी समस्याएं आमतौर पर Technical Audit में मिलती हैं।

5. Can I perform a technical audit myself, or do I need an expert?

अगर आप SEO और वेबसाइट टेक्निकल सेटअप की बेसिक समझ रखते हैं, तो खुद ऑडिट कर सकते हैं। लेकिन बड़े और जटिल वेबसाइट्स के लिए SEO एक्सपर्ट या वेब डेवेलपर की मदद लेना फायदेमंद होगा।

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