आपकी वेबसाइट पर आने वाला यूजर एक मेहमान है। आपने उस मेहमान का कितना अच्छा स्वागत किया? क्या वेबसाइट तेज़ी से लोड हुई? क्या यूजर आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाया? क्या वेबसाइट का लुक स्थिर रहा? क्या वेबसाइट मोबाइल पर भी तेज़ी से खुलती है और उसका लुक भी सही दिखता है? क्या यूजर आसानी से क्लिक कर पाता है? यही सब Core Web Vitals मापते हैं, और ये आपके वेबसाइट के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

Core Web Vitals Explained (परिचय)
Core Web Vitals आपकी वेबसाइट के प्रदर्शन (Website Performance) को मापने के लिए Google द्वारा निर्धारित महत्वपूर्ण मापदंड हैं। ये बताते हैं कि आपके वेबसाइट पर आने वाले यूजर्स को कितना अच्छा और smooth अनुभव हो रहा है।
Core Web Vitals तीन main metrics पर आधारित हैं, जो किसी वेबसाइट की functionality और user experience को define करते हैं। इसे optimize करना न सिर्फ visitors को खुश करता है बल्कि आपकी साइट को search engines में भी बेहतर ranking दिलाने में मदद करता है।
Core Web Vitals क्यों हैं ये महत्वपूर्ण?
Core Web Vitals आपकी वेबसाइट के users को बेहतर अनुभव देने में मदद करते हैं। एक अच्छी performance वाली वेबसाइट-
बेहतर यूजर एक्सपीरिएंस:
जब वेबसाइट जल्दी लोड होती है, आसानी से यूज की जा सकती है, और कंटेंट स्थिर रहता है, तो यूजर्स को अच्छा अनुभव होता है। वे ज्यादा समय तक वेबसाइट पर रहते हैं और आसानी से नेविगेट कर सकते हैं।
बेहतर रैंकिंग:
आपके वेबसाइट के Core Web Vitals अच्छे हैं, तो Google आपकी वेबसाइट को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाएगा, जिससे ज्यादा लोग आपकी वेबसाइट देख पाएंगे।
बढ़ी हुई कन्वर्जन:
जब यूजर का अनुभव अच्छा होता है, तो वे ज्यादा संभावना से आपके प्रोडक्ट्स खरीदेंगे, फॉर्म भरेंगे, या अन्य एक्शंस लेंगे। इस तरह Core Web Vitals आपके conversion rate को भी बढ़ाते हैं।
Core Web Vitals और Google Rankings का कनेक्शन
Google अब वेबसाइट्स को रैंक करने के लिए Core Web Vitals को बहुत ज़्यादा महत्व देता है। अगर आपकी वेबसाइट इन मापदंडों पर खरी उतरती है, तो Google आपकी वेबसाइट को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाएगा।
Core Web Vitals को सही करना सिर्फ SEO के लिए नहीं, बल्कि overall website growth के लिए भी बेहद जरूरी है।
What are Core Web Vitals (CWV क्या हैं)?
Core Web Vitals, Google द्वारा सेट किए गए तीन महत्वपूर्ण मानक हैं, जो वेबसाइट की performance और यूजर एक्सपीरियंस को मापते हैं। इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपकी वेबसाइट यूजर्स के लिए तेज़, इंटरएक्टिव और स्टेबल हो। जब वेबसाइट के ये तीन मापदंड अच्छे होते हैं, तो यूजर्स को बेहतर अनुभव मिलता है और आपकी वेबसाइट Google में अच्छी रैंक प्राप्त करती है।
Largest Contentful Paint (LCP):
यह मापता है कि आपकी वेबसाइट का मुख्य कंटेंट (जैसे टेक्स्ट, इमेज, या वीडियो) कितनी जल्दी लोड होकर दिखाई देने लगता है। जितनी जल्दी ये लोड होगा, यूजर एक्सपीरिएंस (UX) उतना ही बेहतर होगा। इसका मतलब है कि जब तक यूजर का मुख्य कंटेंट लोड नहीं होता, तब तक साइट पूरी तरह से लोड नहीं मानी जाती।
First Input Delay (FID):
यह मापता है कि जब कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर पहली बार इंटरैक्ट करता है (जैसे क्लिक करता है या कोई फॉर्म भरता है), तो उस एक्शन के बाद कितना समय लगता है। जितनी कम समय में response मिलेगा, यूजर एक्सपीरिएंस (UX) उतना ही बेहतर होगा।
Cumulative Layout Shift (CLS):
CLS मापता है कि आपकी वेबसाइट का लेआउट कितना स्थिर है। यह मापता है कि आपकी वेबसाइट पर कंटेंट कितना अचानक से शिफ्ट हो रहा है। जैसे कोई इमेज या विज्ञापन अचानक से दिखाई दे और बाकी कंटेंट को नीचे धकेल दे। इससे यूजर को परेशानी होती है और वे साइट छोड़ सकते हैं। यदि वेबसाइट का लेआउट स्थिर है, तो यूजर का अनुभव बेहतर होता है।

Importance of Core Web Vitals for SEO (SEO में महत्व)
Core Web Vitals सिर्फ आपकी वेबसाइट के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये आपकी SEO (Search Engine Optimization) पर भी सीधा असर डालते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट Google पर बेहतर रैंक करे और यूजर्स को बेहतरीन अनुभव मिले, तो Core Web Vitals को ऑप्टिमाइज़ करना बहुत ज़रूरी है।
Core Web Vitals का User Experience (UX) पर असर
Core Web Vitals का सीधा संबंध आपकी वेबसाइट के यूजर एक्सपीरियंस (UX) से है। जब वेबसाइट तेज़ लोड होती है, इंटरएक्टिव होती है, और इसका लेआउट स्थिर रहता है, तो यूजर्स को अच्छा अनुभव होता है। इससे वे वेबसाइट पर ज्यादा समय बिताते हैं, आसानी से नेविगेट करते हैं और वेबसाइट पर आने के बाद वे जल्दी से छोड़ते नहीं हैं।
अगर इन तीन मुख्य मानकों में कोई कमी होती है, तो यूजर frustration महसूस कर सकते हैं और वेबसाइट छोड़ सकते हैं, जिससे bounce rate बढ़ता है और यूजर engagement घटता है। इन सारी चीज़ों का SEO पर बहुत असर पड़ता है।
Core Web Vitals की Search Engine Ranking में भूमिका
Google अब Core Web Vitals को रैंकिंग सिग्नल के रूप में इस्तेमाल करता है। इसका मतलब है कि अगर आपकी वेबसाइट के Core Web Vitals अच्छे हैं, तो Google उसे सर्च रिजल्ट्स में high रैंक दे सकता है। इसलिए, ये वेबसाइट के विज़िबिलिटी और ट्रैफिक को सीधे प्रभावित करते हैं।
बेहतर रैंकिंग: जब आपकी वेबसाइट तेजी से लोड होती है, यूजर्स को अच्छा अनुभव मिलता है, और साइट स्थिर रहती है, तो Google इसे एक सकारात्मक सिग्नल मानता है और आपकी साइट को ऊपर दिखाता है।
मोबाइल और डेस्कटॉप SEO के लिए Core Web Vitals का महत्व
आजकल ज्यादातर यूजर्स मोबाइल डिवाइस से वेबसाइट्स विज़िट करते हैं। इस वजह से, मोबाइल-फ्रेंडली वेबसाइट डिज़ाइन और Core Web Vitals का सही तरीके से ऑप्टिमाइज़ेशन दोनों ही जरूरी हैं।
- मोबाइल SEO: मोबाइल डिवाइस पर वेबसाइट का लोड होना तेज़ होना चाहिए, ताकि यूजर्स का अनुभव बेहतर हो सके और वे साइट पर बने रहें।
- डेस्कटॉप SEO: डेस्कटॉप पर भी यह मापदंड उतने ही महत्वपूर्ण हैं। अगर आपकी वेबसाइट डेस्कटॉप पर स्लो लोड होती है या इसके लेआउट में बदलाव होते हैं, तो यूजर्स इसे छोड़ सकते हैं और आपकी रैंकिंग भी प्रभावित हो सकती है।

Breaking Down the Core Web Vitals Metrics (CWV Metrics को समझना)
Core Web Vitals के तीन मुख्य मापदंड होते हैं: Largest Contentful Paint (LCP), First Input Delay (FID), और Cumulative Layout Shift (CLS)। आइए, इन मापदंडों को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इन्हें कैसे बेहतर किया जा सकता है।
Largest Contentful Paint (LCP):
What it measures?
LCP यह मापता है कि आपकी वेबसाइट का सबसे बड़ा कंटेंट (जैसे इमेज, वीडियो या टेक्स्ट) कितनी जल्दी लोड होता है। इसको यूजर के लिए महत्वपूर्ण इसलिए माना जाता है, क्योंकि यह बताता है कि वेबसाइट के मुख्य हिस्से को देखने के लिए यूजर को कितना इंतजार करना पड़ा।
Ideal Benchmark:
LCP का आदर्श मान 2.5 सेकंड से कम होना चाहिए ताकि यूजर एक्सपीरियंस बेहतर हो। इससे यूजर एंगेजमेंट बढ़ेगा और बाउंस रेट कम होगा।
Common Causes:
- Heavy Images और Videos: वेबसाइट पर बड़ी इमेज या वीडियो का इस्तेमाल LCP को धीमा कर सकता है।
- Slow Server Response Time: अगर सर्वर धीमा है, तो कंटेंट जल्दी लोड नहीं होगा।
- Render-blocking Resources: CSS और JavaScript फाइल्स अगर सही तरीके से लोड नहीं हो रही हैं, तो LCP प्रभावित हो सकता है।
Solution:
- इमेज और वीडियो का साइज़ कम करें, सही फॉर्मेट का उपयोग करें, और Lazy Loading का इस्तेमाल करें।
- अपने सर्वर रिस्पॉन्स टाइम को बेहतर करें।
First Input Delay (FID):
What it measures?
FID यह मापता है कि जब यूजर आपकी वेबसाइट पर पहली बार किसी बटन या लिंक पर क्लिक करता है या कोई इनपुट देता है, तो वेबसाइट उस एक्शन के लिए कितनी जल्दी रेस्पॉन्ड करती है। इसका सीधा असर यूजर के अनुभव पर होता है, क्योंकि अगर साइट में देरी होती है तो यूजर का इंटरेक्शन बोरिंग और असुविधाजनक हो सकता है।
Ideal Benchmark:
FID का आदर्श स्कोर 100ms से कम होना चाहिए। अगर आपका FID स्कोर 100ms से कम है, तो इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट रेस्पॉन्सिव और यूजर-फ्रेंडली है।
Common Causes:
- JavaScript का भारी इस्तेमाल: बहुत ज्यादा JavaScript को लोड करने से FID खराब हो सकता है।
Solution:
- Defer or Async Scripts: JavaScript को डिफर या एसिंक लोड करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वेबसाइट का मुख्य हिस्सा लोड होने में देरी न हो।
अतिरिक्त जानकारी:
- डिफर लोडिंग: इसका मतलब है कि JavaScript फ़ाइल को HTML के बाद लोड किया जाता है। इससे वेबसाइट का मुख्य हिस्सा पहले लोड हो जाता है और यूजर को कुछ कंटेंट दिख जाता है।
- एसिंक लोडिंग: इसका मतलब है कि JavaScript फ़ाइल को बैकग्राउंड में लोड किया जाता है। इससे वेबसाइट का लोडिंग समय कम हो जाता है।
Cumulative Layout Shift (CLS):
What it measures?
CLS यह मापता है कि आपकी वेबसाइट का कंटेंट कितना स्थिर है, यानी कि क्या अचानक से कोई तत्व (जैसे इमेज या विज्ञापन) बिना किसी चेतावनी के स्थान बदलता है? अगर ऐसा होता है, तो यूजर का अनुभव खराब हो सकता है।
Ideal Benchmark:
CLS का आदर्श स्कोर 0.1 या इससे कम होना चाहिए। जब वेबसाइट का लेआउट स्थिर रहता है, तो यूजर्स को एक सहज अनुभव मिलता है।
Common Causes:
- Images और Ads बिना साइज़ के: अगर इमेज या विज्ञापन का आकार पहले से तय नहीं है, तो लोड होते वक्त वे शिफ्ट हो सकते हैं।
- Dynamically Loaded Content: जब वेबसाइट का कंटेंट लोड होने के बाद बदलाव करता है, तो लेआउट शिफ्ट हो सकता है।
Solution:
- इमेज या विज्ञापन के लिए उचित साइज़ तय करें।
- रेंडरिंग के दौरान किसी भी बदलाव से बचें।
Matric | Largest Contentful Paint (LCP) | First Input Delay (FID) | Cumulative Layout Shift (CLS) |
Measures | वेबसाइट का सबसे बड़ा कंटेंट (इमेज, वीडियो, टेक्स्ट) कितनी जल्दी लोड होता है | यूजर के पहले इनपुट (क्लिक, टाइप) पर वेबसाइट कितनी जल्दी प्रतिक्रिया करती है | वेबसाइट का कंटेंट कितना स्थिर है |
Ideal Value | 2.5 सेकंड से कम | 100ms से कम | 0.1 से कम |
Causes | बड़ी इमेज/वीडियो, धीमा सर्वर, रेंडर-ब्लॉकिंग रिसोर्सेज | ज्यादा JavaScript | बिना साइज़ की इमेज/विज्ञापन, डायनामिक कंटेंट |
Solution | इमेज ऑप्टिमाइज़ेशन, सर्वर सुधार, रिसोर्सेज को सही से लोड करना | JavaScript को सही तरीके से लोड करना | इमेज साइज़िंग, रेंडरिंग के दौरान बदलाव से बचना |
Measuring Core Web Vitals (CWV मापने के तरीके)
Core Web Vitals का सही तरीके से मापना जरूरी है ताकि आप यह जान सकें कि आपकी वेबसाइट की परफॉर्मेंस यूजर्स के लिए कैसी है। इसे समझने और सुधारने के लिए कुछ टूल्स और कदम हैं जिनकी मदद से आप अपनी वेबसाइट की परफॉर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं।
Core Web Vitals को एनालाइज करने के लिए बेहतरीन टूल्स
- Google PageSpeed Insights
यह टूल आपको वेबसाइट की लोडिंग स्पीड, LCP, FID, और CLS जैसे Core Web Vitals पर डिटेल्ड रिपोर्ट देता है। साथ ही, यह टूल सुधार के सुझाव भी प्रदान करता है।
- Lighthouse
Lighthouse एक ऑटोमेटेड टूल है जो आपकी वेबसाइट की परफॉर्मेंस, एक्सेसिबिलिटी, SEO और अन्य पहलुओं की जांच करता है। Core Web Vitals के बारे में भी यह गहराई से जानकारी देता है, और इसकी मदद से आप अपनी वेबसाइट के प्रदर्शन को सुधार सकते हैं।
- Google Search Console (Core Web Vitals Report)
Google Search Console की Core Web Vitals रिपोर्ट आपकी वेबसाइट के प्रदर्शन का एक विस्तृत विश्लेषण (analysis) प्रदान करती है। यह रिपोर्ट आपको उन पेजों को पहचानने में मदद करेगी जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है।

Additional Tools अतिरिक्त टूल्स
इसके अलावा, अन्य कई टूल्स भी उपलब्ध हैं जो Core Web Vitals का टेस्ट कर सकते हैं और सुधार सकते हैं:
- Web Vitals Chrome Extension
यह Google Chrome का एक एक्सटेंशन है, जो आपकी वेबसाइट के लोड होने के दौरान LCP, FID, और CLS के बारे में रियल-टाइम में डेटा देता है। इसका उपयोग आप आसानी से किसी भी वेबसाइट पर कर सकते हैं, और यह आपके ब्राउज़र में ही परिणाम दिखा देता है।
- GTmetrix
GTmetrix एक पॉपुलर टूल है जो आपकी वेबसाइट की परफॉर्मेंस को विभिन्न पहलुओं से मापता है। यह LCP, FID और CLS के साथ-साथ अन्य परफॉर्मेंस मीट्रिक्स को भी प्रदर्शित करता है। यह टूल वेबसाइट के प्रदर्शन को सुधारने के लिए सुझाव भी देता है, जो Core Web Vitals के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
- Pingdom
Pingdom एक और बेहतरीन टूल है जो वेबसाइट की लोडिंग स्पीड और परफॉर्मेंस को मापने में मदद करता है। यह LCP, FID और CLS जैसे Core Web Vitals के साथ-साथ अन्य परफॉर्मेंस मीट्रिक्स भी प्रदर्शित करता है। यह टूल आपको वेबसाइट के स्पीड और परफॉर्मेंस को सुधारने के लिए भी सुझाव देता है।
- WebPageTest
WebPageTest एक फ्री टूल है जो वेबसाइट के परफॉर्मेंस को मापता है, जिसमें Core Web Vitals की विस्तृत जानकारी शामिल होती है। यह टूल आपको लोडिंग टाइम, इंटरएक्टिविटी और विजुअल स्टेबिलिटी के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करता है और सुधार के उपाय भी बताता है।
- Chrome User Experience Report (CrUX)
एक ऐसा टूल है जो आपको यह बताता है कि आपकी वेबसाइट पर आने वाले असली लोग आपकी वेबसाइट को कितना पसंद करते हैं। यह टूल आपको Core Web Vitals के आधार पर एक स्कोर देता है जिससे आप अपनी वेबसाइट को और बेहतर बना सकते हैं। CrUX आपको यह समझने में मदद करता है कि यूजर्स अपनी वेबसाइट का इस्तेमाल करते समय किस तरह का अनुभव कर रहे हैं।
- SpeedCurve
SpeedCurve एक पेड टूल है जो आपको अपनी वेबसाइट के प्रदर्शन का बहुत विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है। यह टूल आपको यह समझने में मदद करता है कि आपकी वेबसाइट के कौन से हिस्से धीमे हैं और उन्हें कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।

Core Web Vitals को सही से मापने के फायदे
इन टूल्स की मदद से आप वेबसाइट की परफॉर्मेंस पर नज़र रख सकते हैं और हर एक मेट्रिक को बेहतर बना सकते हैं। सही टूल्स का इस्तेमाल करने से आपको अधिक सटीक जानकारी मिलती है और आप अपने वेबसाइट के UX और SEO में सुधार कर सकते हैं।
Tips to Improve Core Web Vitals (बेहतर करने के टिप्स)
Core Web Vitals को सुधारने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे, ताकि आपकी वेबसाइट की परफॉर्मेंस बेहतर हो सके। यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं जिनकी मदद से आप अपने Core Web Vitals को बेहतर कर सकते हैं:
Core Web Vitals Area | Improvement Tips |
Largest Contentful Paint (LCP) | 1. Server Response Time को ऑप्टिमाइज़ करें: अपनी सर्वर की प्रतिक्रिया समय को तेज़ करें ताकि कंटेंट जल्दी लोड हो सके। 2. Content Delivery Network (CDN) का इस्तेमाल करें: अपनी वेबसाइट का कंटेंट अलग-अलग लोकेशंस पर स्टोर करें, इससे लोडिंग टाइम कम होगा। 3. CSS Blocking Render को कम करें: ज़रूरी CSS को पहले लोड करने की कोशिश करें, जिससे कंटेंट जल्दी दिखाई दे। 4. Images और Videos को ऑप्टिमाइज़ करें: इमेज और वीडियो का साइज़ कम करें, सही फॉर्मेट का इस्तेमाल करें, और Lazy Loading को लागू करें। |
First Input Delay (FID) | 1. JavaScript Execution Time को कम करें: JavaScript को ऑप्टिमाइज़ करें, जिससे यूज़र का इंटरएक्शन जल्दी हो सके। 2. Third-Party Code का प्रभाव कम करें: थर्ड-पार्टी स्क्रिप्ट्स को लिमिट करें और उन्हें Deferred या Async तरीके से लोड करें। 3. Lazy Loading लागू करें: Lazy Loading का इस्तेमाल करें, जिससे कंटेंट तब लोड हो जब वो स्क्रीन पर दिखाई दे। |
Cumulative Layout Shift (CLS) | 1. Ads और Media के लिए जगह तय करें: इमेज और विज्ञापनों के लिए पहले से जगह तय करें, ताकि लोड होने के बाद लेआउट शिफ्ट न हो। 2. Images और Videos के लिए Explicit Dimensions का इस्तेमाल करें: हमेशा इमेज और वीडियो के लिए सही साइज़ सेट करें, जिससे लेआउट स्थिर रहे। 3. Dynamically Content Inject करने से बचें: पेज लोड होने के बाद कंटेंट को बदलने से बचें, ताकि लेआउट शिफ्ट न हो। |
Future of Core Web Vitals (CWV का भविष्य)
Evolving Metrics: Interaction to Next Paint (INP)
Core Web Vitals में लगातार बदलाव होते रहते हैं। एक नया मापदंड, Interaction to Next Paint (INP), जोड़ा जा सकता है। यह मापता है कि यूज़र का इंटरएक्शन करने के बाद वेबसाइट कितनी जल्दी रिएक्ट करती है और पेंट (दिखाई देने वाला कंटेंट) कितनी जल्दी अपडेट होता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह देखना होगा कि यूज़र को तेज़ और ज्यादा इंटरेक्टिव अनुभव मिले।
Google Page Experience को बेहतर बनाने पर ध्यान
Google लगातार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि यूज़र्स को हर वेबसाइट पर बेहतरीन अनुभव मिले। Core Web Vitals इसका एक अहम हिस्सा हैं। गूगल चाहता है कि वेबसाइटें न केवल लोड होने में तेज़ हों, बल्कि यूज़र्स के साथ बेहतर इंटरएक्शन और स्थिरता भी प्रदान करें। इससे वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस बेहतर होगा और सर्च रैंकिंग में सुधार होगा।
Future Updates के लिए वेबसाइट को तैयार रखना
Google भविष्य में Core Web Vitals से जुड़े और भी मापदंड और अपडेट्स ला सकता है। इसका मतलब यह है कि आपको अपनी वेबसाइट के प्रदर्शन पर लगातार निगरानी रखनी होगी और उसे समय-समय पर अपडेट करना होगा। इससे आपकी वेबसाइट हमेशा गूगल के नए मानकों के अनुसार ऑप्टिमाइज़ होगी और यूज़र्स को बेहतरीन अनुभव मिलेगा।
Common Mistakes to Avoid When Optimizing Core Web Vitals (सामान्य गलतियाँ)
Neglecting Mobile-First Design मोबाइल-फर्स्ट डिज़ाइन को नजरअंदाज करना
आजकल ज्यादातर लोग मोबाइल डिवाइस पर इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं। अगर आपने अपनी वेबसाइट को मोबाइल के लिए सही से ऑप्टिमाइज़ नहीं किया है, तो आपके Core Web Vitals प्रभावित हो सकते हैं। वेबसाइट को मोबाइल-फ्रेंडली बनाना जरूरी है, ताकि यूज़र्स को हर डिवाइस पर बेहतरीन अनुभव मिले।
Ignoring The Fast Hosting Providers होस्टिंग प्रोवाइडर्स की भूमिका को अनदेखा करना
वेबसाइट के प्रदर्शन में आपकी होस्टिंग प्रोवाइडर का बड़ा हाथ होता है। धीमे या अनरिलायबल होस्टिंग प्रोवाइडर्स आपके LCP (Largest Contentful Paint) को धीमा कर सकते हैं। इसलिए, सही और तेज़ होस्टिंग सेवा का चुनाव करना जरूरी है, ताकि आपकी वेबसाइट तेजी से लोड हो और यूज़र का अनुभव अच्छा रहे।
Using Non-Optimized Plugins & Themes नॉन-ऑप्टिमाइज़्ड प्लगइन्स और थीम्स का उपयोग
कुछ प्लगइन्स और थीम्स आपकी वेबसाइट की स्पीड को बहुत प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट तेज़ और स्मूथ चले तो आपको ऐसे प्लगइन्स और थीम्स का चयन करना चाहिए जो Core Web Vitals के मानकों पर खरे उतरते हों।
Focusing on Metrics without Considering UX यूज़र एक्सपीरियंस को भूलना
Core Web Vitals पर ध्यान देना ज़रूरी है, लेकिन कभी-कभी लोग मेट्रिक्स पर इतना ध्यान देते हैं कि यूज़र एक्सपीरियंस को भूल जाते हैं। असल में, जब तक आपकी वेबसाइट यूज़र्स के लिए उपयोगी और आसान नहीं होगी, तो मेट्रिक्स का कोई मतलब नहीं है। इसलिए, यूज़र को प्राथमिकता दें और मेट्रिक्स को इस पर आधारित ऑप्टिमाइज़ करें।
Conclusion निष्कर्ष
Core Web Vitals आपकी वेबसाइट के लिए फिटनेस टेस्ट हैं। अगर आपकी वेबसाइट इन टेस्ट्स में पास हो जाती है, तो इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट स्वस्थ और तंदुरुस्त है। यही वजह है कि गूगल इन पर ध्यान देता है और इन्हें रैंकिंग फैक्टर बनाता है। जब आपकी वेबसाइट इन मेट्रिक्स में अच्छे स्कोर हासिल करती है, तो आपकी सर्च इंजन रैंकिंग और यूज़र एंगेजमेंट दोनों में सुधार होता है।
Core Web Vitals की सही जांच करने और सुधारने के लिए कई टूल्स हैं जैसे Google PageSpeed Insights, Lighthouse, और Google Search Console। इन टूल्स के जरिए आप अपनी वेबसाइट के प्रदर्शन को समझ सकते हैं और सुधार सकते हैं।
अगर आपको इन टूल्स के इस्तेमाल में मदद चाहिए या आपकी वेबसाइट की प्रदर्शन सुधारने की जरूरत है, तो Ameazia आपकी मदद कर सकता है। हम आपकी वेबसाइट को Google के Core Web Vitals मानकों के अनुरूप ऑप्टिमाइज़ करके उसे और बेहतर बना सकते हैं।
अगर आपको इस ब्लॉग में कुछ समझने में दिक्कत हो या आपके मन में कोई सवाल हो, तो नीचे कमेंट सेक्शन में हमें बताएं। हम आपकी मदद के लिए यहां हैं।